रामपुर। समाजवादी पार्टी और उसके वरिष्ठ नेता आजम खान को बड़ा झटका लगा है। सोमवार को आजम खां के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां शानू भगवा रंग में रंग गए हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह की मौजदूगी में उन्होंने अपने समर्थकों के साथ भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने रामपुर विधानसभा उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी आकाश सक्सेना के कार्यालय पर फसाहत अली खां शानू को पार्टी की सदस्यता दिलाई। इनके साथ ही आजम खां के करीबी इरशाद महमूद, नवीन शर्मा और वैभव यादव भी भाजपा में शामिल हो गए। नवीन शर्मा लोहिया वाहिनी के नगर अध्यक्ष रहे जबकि वैभव यादव सपा छात्र सभा के जिलाध्यक्ष रहे है।
दो बार लग चुका है गुंडा एक्ट
फसाहत अली खां शानू और आजम खां का साथ काफी लंबा है। आजम खां को जब सपा ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था तो शानू उनके साथ खड़े रहे। शानू ने आजमवादी मंच बनाया, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी वो थे। 2017 में भाजपा की सरकार आने के बाद आजम खां और उनके समर्थकों के खिलाफ धड़ाधड़ मुकदमे दर्ज हुए हैं। शानू पर भी 30 से अधिक मुकदमे हैं। उनके खिलाफ लोगों के घर में घुसकर सामान चुराने, उनके घरों पर बुल्डोजर चलवाने, भैंस चोरी करने और भैंस की घंटी चोरी करने के आरोप में मुकदमे दर्ज हैं। मुकदमे दर्ज होने के बाद शानू काफी समय तक भूमिगत रहे। उनके खिलाफ दो बार प्रशासन ने गुंडा एक्ट लगाकर बदर भी कर चुका है।
पुलिस ने शानू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। शानू जब जेल में थे उनके वालिद का इंतकाल हो गया था। वालिद के इंतकाल के बाद से शानू टूट गए थे। हालांकि जेल से बाहर के आने के बाद भी शानू ने आजम खां साथ छोड़ा नहीं था। इस बीच पुलिस ने इनके खिलाफ गुंडा एक्ट की कार्रवाई करते दो बार जिला बदर कर दिया था। अभी कुछ दिन पहले ही शानू की जिला बदर की अवधि समाप्त हुई है। इसके बाद वो रामपुर आए हैं।
अखिलेश के खिलाफ दिया था चर्चित बयान
शानू खां ने विधानसभा चुनाव के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव के खिलाफ बयान जारी कर दिया था। कहा था कि अब्दुल ही दरी बिछाएगा। अब्दुल ही वोट देगा। अब्दुल ही जेल जाएगा। अब्दुल का ही घर टूटेगा, लेकिन मुख्यमंत्री बनेंगे अखिलेश जी, नेता प्रतिपक्ष बनेंगे अखिलेश जी। अब अखिलेश जी को उनके कपड़ों से भी बदबू आती है।
शानू का बयान काफी चर्चित रहा था
उनका यह बयान बड़ा चर्चित रहा था। मीडिया में भी कई दिन छाया रहा। तब माना जा रहा था कि यह बयान आजम खां के इशारे पर दिया गया है और आजम खां सपा से किनारा कर सकते हैं, लेकिन बाद में आजम खां और अखिलेश के बीच की दूरियां कम हो गई।