इटावा। उत्तर प्रदेश के इटावा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक अजीब मामला पहुंचा। एक महिला 6 महीने का गर्भपात बताकर बच्चे को लेकर समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराने पहुंच गई। डॉक्टर यह देखकर भौचक्के रह गए। डॉक्टर ने इस गर्भपात के बच्चे को देखकर प्लास्टिक का खिलौना बता दिया।
बढ़पुरा विकासखंड के ग्राम रमी का बर में बुधवार सुबह एक महिला की सास ऊषा देवी ने गांव की आशा कार्यकत्री को बच्चा होने की सूचना दी और उसे घर बुला लिया। आशा को मामला गड़बड़ लगने पर उसने स्वास्थ्य परीक्षण के लिए सीएचसी चलने की बात कही। महिला परिवार के लोगों के साथ निजी वाहन से सीएचसी पहुंच गई। यहां तैनात डॉ. हर्षित जैन एवं स्टाफ नर्स प्रिंसी यादव बच्चे को देखकर भौचक्के रह गए। डॉक्टर ने परीक्षण कर बताया कि यह प्लास्टिक की गुड़िया है।
इसके बाद डॉक्टर ने प्रेगनेंसी से संबंधित अन्य कागजात और एक्स-रे भी चेक किए तो वह भी फर्जी पाए गए। डॉक्टरों के सख्ती से बात करने पर परिजन गुड़िया छोड़कर भाग गए। बताया जाता है कि महिला की शादी को 18 साल से अधिक होने पर कोई भी बच्चे का जन्म नहीं हुआ तो लगातार परिजनों के द्वारा उसको बांझपन का ताना दिया जाता रहा।
40 वर्षीय महिला ने इस ताने से मुक्ति पाने के लिए 6 महीने पहले से ही एक नाटक रचना शुरू कर दिया कि वह गर्भवती है। फिर अचानक से 6 महीने बीत जाने के बाद उसने पेट दर्द का बहाना बनाकर गर्भपात की बात कही, जिसमें एक प्लास्टिक की गुड़िया को रंगने और विकृति कर यह बताने की कोशिश की गई कि ‘अधूरे बच्चे’ का जन्म हुआ है।
चिकित्सा अधीक्षक के अनुसार, महिला प्रेगनेंसी का नहीं बल्कि पेट में इन्फेक्शन का इलाज कराने के लिए आती थी। डॉक्टर ने यह भी बताया महिला को शादी के काफी समय बाद भी बच्चे का जन्म नहीं हुआ है और बांझपन के ताने से मुक्ति पाने के लिए उसने यह स्वांग रचा था।