कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के रावतपुर क्षेत्र में एक परिवार ने घर पर डेढ़ साल तक एक शव को छुपाए रखा। मामले की जानकारी तब हुई जब शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम उनके घर पहुंची। परिजनों ने देर शाम पुलिस की मौजूदगी में भैरव घाट स्थित विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार कर दिया।
शुक्रवार की दाेपहर इस बात की जानकारी तब हुई जब विभाग की शिकायत पर सीएमओ कानपुर की टीम घर पहुंची। टीम को घर पर आयकर कर्मी का कंकाल बन चुका शव बरामद हुआ। आंख, मुंह, नाक और यहां तक की शरीर की सारी मांसपेशियां सूख चुकी थी और जबड़े से दांत भी बाहर आ गए थे। सिर्फ और सिर्फ शरीर में हड्डियां ही दिखाई दे रही थीं।
परिवार वालों से जब उसके मृत होने की बात बताई तो वह लड़ने को तैयार हो गए। इस पर जमकर हंगामा हुआ। स्थितियां देखकर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची, जिसके बाद समझाबुझा कर शव को हैलट लेकर आया गया। सीएमओ के आदेश पर तीन डाक्टरों के पैनल को इस पूरे मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं। इसके बाद भैरव घाट स्थित विद्युत शवदाह गृह में उसका अंतिम संस्कार किया गया।
जानकारी के अनुसार, आर्डनेंस फैक्टरी से रिटायर्ड कर्मचारी राम औतार रोशन नगर में परिवार के साथ रहते हैं। तीन बेटों में सबसे छोटा बेटा विमलेश (35) अहमदाबाद में इनकम टैक्स में असिस्टेंट अकाउंटेंट ऑफिसर (एएओ) के पद पर था। विमलेश की पत्नी मिताली किदवईनगर स्थित सहकारिता बैंक में कार्यरत हैं।
साल 18 अप्रैल 2021 को विमलेश कोरोना से संक्रमित हो गए थे। इसके बाद परिजनों ने उन्हें उपचार के लिए बिरहाना रोड पर स्थित मोती हॉस्पिटल में भर्ती करवाया। यहां उपचार के बाद 22 अप्रैल को उनकी मौत हो गई। इस मामले में अस्पताल प्रबंधन की ओर से नियमों की अनदेखी की गई और शव को मृत्यु प्रमाणपत्र के साथ ही विमलेश के घरवालों को सुपुर्द कर दिया गया।
विमलेश का शव 22 अप्रैल 2021 को जब उनके घरवालों को मिला तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ कि उनके बेटे की मौत हो गई। घर आने के बाद परिजन अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे तभी मां राम दुलारी ने विमलेश के दिल की धड़कन आने की बात कहकर अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया। तभी से माता-पिता उसके शव को घर के एक कमरे में रखकर देखभाल कर रहे थे। घर पर विमलेश की पत्नी मिताली के अलावा विमलेश के भाइयों सुनील, दिनेश के परिवार भी रह रहे हैं।
परिजन उसे जिंदा ही मान रहे थे। यहां तक महीनेभर उन्होंने उसे ऑक्सीजन भी लगाई। इस बीच वह रोज उसे गंगाजल से और कभी-कभी डिटॉल से साफ भी करते। धीरे-धीरे शव सूखने लगा और मां-बाप की उम्मीदें जिंदा रहीं।
मिताली के नाम से विमलेश के ऑफिस को मिली थीं दो चिट्ठियां
विमलेश की मौत के छठे दिन यानी 27 अप्रैल को अहमदाबाद आफिस से उनकी पत्नी मिताली दीक्षित का एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें पति के नाम के आगे स्वर्गीय अंकित था। पत्र में विभाग को सूचना दी गई कि विमलेश कुमार की मृत्यु कोरोना से हो गई है और पेंशन संबंधी औपचारिकताओं का जल्द से जल्द क्रियान्वन किया जाए। विभाग ने पत्र के आधार पर प्रक्रिया शुरू कर दी।
विभाग ने रोक दी थी सैलरी
एक मई को मिताली का एक और पत्र अहमदाबाद आफिस को प्राप्त हुआ, जिसमें लिखा था कि पल्स आक्सीमीटर से जांच में पति विमलेश की आक्सीजन और पल्स चलती पाई गई है और वह जीवित हैं इसलिए पेंशन और फंड भुगतान की प्रक्रिया को रोक दिया जाए। अजीबोगरीब पत्र प्राप्त होने के बाद विभाग में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई और विमलेश की सैलरी रोक दी गई।
भुगतान के लिए चिट्ठियां भेजता रहा विभाग, मिताली ने नहीं दिया जवाब
विभाग ने मे़डिकल बिलों और रुकी हुई सैलरी के भुगतान के लिए सात पत्र पत्नी मिताली को भेजे लेकिन कोई जवाब नहीं आया। पिछले साल अप्रैल से ड्यूटी पर न जाने के बाद जब विभाग के कर्मचारियों ने परिजनों से उनके बीमार होने का प्रमाणपत्र मांगा तो पत्नी ने जवाब दिया कि घर पर ही उनका इलाज जारी है। इसी के चलते मेडिकल सार्टिफिकेट नहीं बन पा रहा। इसके बाद आयकर विभाग ने सीएमओ को पत्र लिखा कि विमलेश की पत्नी लिखती है कि उनके पति का मेडिकल सार्टिफिकेट नहीं बन पा रहा। इसके बाद सीएमओ ने जांच कमेटी गठित की। विभाग ने कानपुर आफिस को पत्र लिखकर शक जताया कि विमलेश की मौत हो चुकी है और सीएमओ के जरिए इसकी पुष्टि कराएं। वहां से आई सूचना के बाद कानपुर से पत्र सीएमओ को गया और 17 महीने से घर में रखी लाश का राजफाश हुआ।
शव से क्यों नही आ रही बदबू
सीएमओ ने बताया कि जांच के दौरान सामने आया है कि मोहल्ले वालों की भी शव से बदबू नहीं आई, इसकी जांच हो रही है। प्रथम दृष्टया शव के ममी स्वरूप में जाने से बदबू न आने की संभावना है लेकिन घर वालों ने ऐसा कैसे किया, इसकी भी जांच होगी।