नई दिल्ली। आज 14 सितंबर, 2022 को हमारा देश हिंदी दिवस के रूप में मना रहा है। करोड़ों लोगों की मातृभाषा हिंदी को बढ़ावा देने के लिए इस दिवस का आयोजन हर साल किया जाता है। हिंदी भाषा का प्रयोग भारत के लगभग आधे क्षेत्र में किया जाता है। इसके अलावा कई अन्य देश भी है जहां हिंदी भाषियों की संख्या अच्छी खासी है। हिंदी दिवस के मौके पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को देशवासियों को शुभकामनाएं दीं।
पीएम ने बुधवार सुबह ट्वीट किया, “हिंदी ने विश्वभर में भारत को एक विशिष्ट सम्मान दिलाया है। इसकी सरलता, सहजता और संवेदनशीलता हमेशा आकर्षित करती है। हिन्दी दिवस पर मैं उन सभी लोगों का हृदय से अभिनंदन करता हूं, जिन्होंने इसे समृद्ध और सशक्त बनाने में अपना अथक योगदान दिया है।”
गृहमंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, “राजभाषा हिंदी राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोती है। हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है। मोदी सरकार हिंदी सहित सभी स्थानीय भाषाओं के समानांतर विकास हेतु प्रतिबद्ध है। हिंदी के संरक्षण व संवर्धन में योगदान देने वाले महानुभावों को नमन करता हूँ।”
अमित शाह ने हिंदी दिवस के मौके पर देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा, देश की भाषाई संपन्नता को ध्यान में रखते हुए संविधान निर्माताओं ने अलग से प्रावधान किया, जिसमें प्रारंभिक 14 भाषाएं रखी गईं। अब आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं हैं। सभी भाषाओं का अपना-अपना स्थान है। सभी भारतीय भाषाओं से समन्वय स्थापित करते हुए हिंदी ने जनमानस के मन में विशेष स्थान हासिल किया है। यही कारण है कि आजादी के आंदोलन में अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने हिंदी को संपर्क भाषा बनाकर आंदालेन की गति बढ़ाने का प्रयास किया।
आखिर क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस?
हिंदी के महान साहित्यकार व्यौहार राजेंद्र सिंह के जन्मदिवस के दिन 14 सितंबर को ये दिन मनाया जाता है। इसी वजह से इस दिन को हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। हिंदी को विशेष दर्जा दिलवाने में जिन्होंने अहम योगदान निभाया है, उनमें गोविंद दास, हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर और मैथिलीशरण गुप्त जैसे लोग भी शामिल हैं। वहीं महात्मा गांधी ने भी साल 1918 में हिंदी साहित्य सम्मेलन के दौरान हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कहा था। वह हिंदी को जनमानस की भाषा मानते थे। राष्ट्रपति महात्मा गांधी का हिंदी से विशेष लगाव था।
क्या है हिंदी दिवस का इतिहास?
हिंदी देवनागरी लिपि में लिखी गई एक इंडो-आर्यन भाषा है। जिसे साल 1949 में संविधान सभा ने भारत की आधिकारिक भाषा के तौर पर मान्यता दी थी। साथ ही इसे आधिकारिक भाषा भी घोषित किया। ये भारतीय गणराज्य की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1949 से हर साल हिंदी दिवस मनाने का फैसला लिया था। इस दिन देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यक्रमों का आयोजन किया दाता है।
आपको बता दें, हिंदी दिवस तो 14 सितंबर को तो मनाया ही जाता है। इसके अलावा हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस भी मनाया जाता है। इसे 10 जनवरी, साल 1975 में नागपुर में आयोजित पहले विश्व हिंदी सम्मेलन की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। इसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। ये दिन पहली बार 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा पूरी दुनिया में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया गया था।
आखिर क्या है हिंदी दिवस का महत्व?
हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य को सम्मान देने के लिए हिंदी दिवस के मौके पर देशभर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इस दिन मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों, राष्ट्री बैंकों और नागरिकों को हिंदी भाषा में उनके अहम योगदान के लिए राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार जैसे पुरस्कार प्राप्त होते हैं। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू), विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, राष्ट्रीय बैंकों और व्यक्तियों को हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है।