इटावा। उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत नव चयनित आईसीआरपी के नौ दिवसीय प्रशिक्षण क्षेत्रीय ग्राम विकास संस्थान, बकेवर में चौथे दिन सामाजिक मानचित्रण सिखाया गया।
बृजमोहन अम्बेड, उपायुक्त स्वरोजगार ने प्रशिक्षण का औचक निरीक्षण किया उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से समूह की महिलाओं को रोजगार से जोड़ा जायेगा जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर हो सकें। गरीब महिलाएं ही गरीब महिलाओं की पहचान करके समूह से जोड़ेंगी। डॉ सुरेशचंद्र राजपूत आचार्य ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि जब महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और सशक्त होगी तभी गांव और राष्ट्र सशक्त होगा।
डॉ नंदकिशोर साह जिला मिशन प्रबंधक ने बताया कि सभी प्रतिभागियो को एक दूसरे से आईसीआरपी को अपना नया परिचय किस प्रकार से देना है, प्रशिक्षण के नियम, प्रतिभागियों की क्या अपेक्षाएं हैं, मिशन के उद्देश्य और मिशन के प्रमुख घटकों जैसे सामाजिक समावेशन, वित्तीय समावेशन, आजीविका संवर्धन तथा प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास आदि सभी उपरोक्त बिन्दुओं पर विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। रोल प्ले के माध्यम से स्पष्ट किया गया कि मिशन के समूह और अन्य समूहों में क्या अन्तर है। मिशन की सामुदायिक रणनीति, सामुदायिक कैडर के प्रकार एवं महत्व विशेषकर आंतरिक सामुदायिक सन्दर्भ व्यक्ति का महत्त्व, उसके गुण, मुख्य कार्य एवं संसाधन शुल्क, गरीबी का दुष्चक्र (रस्सी खेल) एवं लक्ष्मी देवी की कहानी के माध्यम से गरीब कौन, गरीबी के कारण, गरीबी के प्रकार, गरीबों की सहभागी पहचान करने की प्रक्रिया, सेक सूची 2011 के आधार पर, गरीबी के सात मानक, सामाजिक मानचित्र, घर-घर सर्वेक्षण, गरीबी से निकलने के उपाय आदि पर समझ विकसित की गई।
जियाउल हक, राज्य रिसोर्स पर्सन ने बताया कि वीडियो फिल्म “समूह क्यों” के माध्यम से समूह की आवश्यकता और महत्व, सात बंधन खेल एवम गीतों के माध्यम से गरीब महिलाओं की सामाजिक स्थिति, महिलाओं का जीवन चक्र एवं महिला स्वयं सहायता समूह क्यों आदि पर समझ विकसित की गई। तत्पश्चात पंचसूत्र पर चर्चा की गई जिसमें बैठक क्यों, फिल्म के माध्यम से बैठक के महत्व को समझाने का प्रयास किया गया।
उसके बाद 15 दिवसीय कार्य योजना रोल प्ले करके समझाया गया। सामाजिक मानचित्र बनाने का उद्देश्य, तरीका आदि पर चर्चा करते हुए टीमों में विभाजित करके अभ्यास कराया गया। प्रतिभागियो को आमसभा कैसे करनी है। किन-किन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आदि पर अभ्यास कराया गया। संवाद की प्रक्रिया पर समझ तथा आम सभा के दौरान कौन कौन से खेल एवं गीतों का प्रयोग करना है।उन सभी का अभ्यास कराया गया तथा लेखांकन का महत्व, समूहों में उपयोग होने वाली पुस्तकों के प्रकार, समूहों में मिलने वाली निधियां तथा पुस्तकों को लिखने की प्रक्रिया एवं अभ्यास कराया गया।
डॉ मनोज प्रसार प्रशिक्षण अधिकारी ने बताया कि सातवें एवं आठवें दिन क्षेत्र भ्रमण के माध्यम से 6 दिनों के दौरान सीखें गए कार्यों को गांवों में अभ्यास भी कराया जायेगा। प्रशिक्षक के रूप में डिस्टिक रिसोर्स पर्सन वेंकट राव व अरुणा, ब्लॉक रिसोर्स पर्सन एकता व वंदना का संयुक्त रूप से योगदान दे रहे हैं। प्रतिभागियों में सरिता, रश्मि, निर्मला, प्रतीक्षा, मिलन, सुमन सहित सभी प्रतिभागी मौजूद रही।