लखनऊ। विश्व जनसंख्या दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक ही वर्ग की आबादी बढ़ने से अराजकता होगी। जनसंख्या का असंतुलन नहीं होना चाहिए। सीएम योगी ने कहा कि जिन देशों की जनसंख्या ज्यादा होती है वहां जनसांख्यकीय असंतुलन चिंता का विषय बनता है।
सोमवार को लखनऊ में सीएम आवास पर आयोजित इस कार्यक्रम से पहले मुख्यमंत्री योगी ने जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा की शुरुआत करते हुए एक जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाई। सीएम योगी ने कहा कि जब बात परिवार नियोजन की हो, जनसंख्या स्थिरीकरण की हो तो हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास सफलतापूर्वक जरूर हों, लेकिन कहीं भी जनसांख्यकीय असंतुलन की स्थिति न पैदा होने पाए। ऐसा न हो कि किसी एक वर्ग की आबादी बढ़ने की स्पीड ज्यादा हो और जो मूल निवासी हों, उन पर जनसंख्या स्थिरीकरण की कोशिशों से, इंफोर्समेंट से और जागरुकता प्रयासों से उनकी आबादी को नियंत्रित कर दिया जाए।
आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में पहले की तुलना में अपने रिकार्ड को काफी अच्छा किया है। उन्होंने कहा कि हमको इस सफलता पर खुश होने की जरूरत नहीं है। हमें इसको और भी बेहतर करने की जरूरत है। सरकार ने स्वास्थ्य के साथ ही बाल तथा महिला कल्याण विभाग को काफी समृद्ध किया है। बच्चों तथा माता को भी पुष्टाहार उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके साथ ही हम जनसंख्या को स्थिर करने के भी बड़े अभियान में तेजी से लगे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने मस्तिष्क ज्वर से होने वाली मौतों को 95% नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त की है।सबसे बड़ी आबादी का प्रदेश होने के बावजूद उत्तर प्रदेश ने कोरोना प्रबंधन का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। जनसंख्या नियंत्रण में आशा बहनें, आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियां, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत समिति समेत अन्य प्रतिनिधिगण, शिक्षकगण इस कार्यक्रम को स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर और बेहतरीन तरीके से आगे बढ़ा सकते हैं। इस दिशा में सामूहिक प्रयास होना चाहिए।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने बीते 05 वर्ष में बेहतरीन परिणाम दिए हैं। मैटरनल एनीमिया में आज यह 51.1% से घटकर 45.9% रह गया है। 05 वर्ष में फुल इम्यूनाइजेशन 51.1% से बढकर लगभग 70% तक पहुंच गया है। संस्थागत प्रसव की दर जो पहले 67-68% थी, वह आज 84% की ओर जा रहा है। मातृ-शिशु मृत्यु दर को नियन्त्रित करने की कोशिशों के अच्छे परिणाम मिले हैं। अंतर विभागीय समन्वय और जागरूकता की कोशिशों से प्रदेश अपने लक्ष्यों में निश्चित ही सफल होगा।