परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
यह हिन्दुस्तान है यहां सब कुछ हो सकता है, सेक्युलिरिज्म की घूँघट ओढ़कर गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले रंगरुट इसी आध्यात्मिक पवित्र भूमि पर मिल जायेंगे। क्रान्तिकारियों की पवित्र भूमि एवं भगवा की आन-बान-शान के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले छत्रपति शिवा जी महाराज की पवित्र पवित्र भूमिपर भगवा की लोमहर्षक हत्या (माॅबलिंचिंग) अंतर्तात्मा को झकझोर कर रख देती है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियों को देखकर सहज अनुमान लगाया जा सकता है, कि धटना कितनी वीभत्स एवं हद्धयविदारक रही होगी। महाराष्ट्र में भगवा झंडे की सरकार एवं एकोअहम् शिवोह्म। शिवा सेना की उद्धव सरकार के नाक के नीचे महाराष्ट्र के पालघर के गड़चिनचले गांव में माॅबलिंचिंग कर भगवा की हत्या कर दी गयी। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार जूना अखाड़ा के कल्पगिरि महाराज 70 वर्ष, सुनील गिरी महाराज 35 वर्ष, निलेश तेलगड़े 30 वर्ष की उन्मादी भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी।
तीनो मृतक सूरत से कंदावलि अपनी निकटम संबंधी के अन्तिम संस्कार में सम्मलित होने जा रहे थे। मीडिया रिपोर्ट के हवाले से यह भी ख़बर मिली है इस धटना को झठी रिपोर्ट एवं अफ़वाह की वजह से अंजाम दिया गया है। चोरी, डकैती, एवं किडनी चोर जैसी अफवाहों के मध्य उन्मादी भीड़ गाड़ी रोककर निहत्थे साधुओं को पीट-पीटकर उनकी वही समाधि बना देती है लेकिन पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बनकर देखता रहता है।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियों देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस धटना को पुलिस के सामने अंजाम दिया गया है, लेकिन पुलिस ने न तो निहत्थे साधुओं को बचाने का कोई उपाय किया न ही व्वरित कोई ठोस कदम उठाया इस लिहाज से पुलिस भी संदेह के घेरे में है किन्तु यह अभी जांच का विषय है इतनी जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है। कुछ भी हो छत्रपति शिवा जी की भगवा वंग भूमि पर निहत्थे भगवाधारी साधुओं की हत्या महाराष्ट्र सरकार एवं महाराष्ट्र के इतिहास पर एक धब्बा है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि साधुओं की निमर्म हत्या हो जाने के 24 धंटे बीत जाने के बाद भी महाराष्ट्र सरकार के किसी बड़े पुलिस अधिकारी या आलाकमान का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। जब सोशल मीडिया पर वीडियों तेजी से वायरल होने लगा और चारों तरफ सरकार की किरकिरी होते देख महाराष्ट्र सरकार तंनिद्रा से जागी। एवं पलिस ने आनन-फानन में गिरफ्तारियां शुरु कर दी।
महाराष्ट्र डीजीपी के आधिकारिक बयान के अनुसार अब तक 150 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, कुछ लोगों को चिन्हित कर उनको सर्च किया जा रहा है। वही उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र सरकार पर लगातार लग रहे लानत-मलानत को देखते हुए आदित्य ठाकरे अपने पिता के बचाव कें उतर आये उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि इस तरह की धटना शर्मनाक है एवं अपराधियों को बख्शा नहीं जायेगा। निहत्थे साधुओं को कितना इंसाफ मिलता है यह तो समय बतायेगा। इतना सब कुछ बीत जाने के बाद भी किसी मेनस्ट्रीम मीडिया में यह ख़बर नहीं आयी, महाराष्ट्र के कुछ लोकल अख़बारों ने ख़बरें चलायी।
फिर भी यह ख़बर मेनस्ट्रीम मीडिया से गायब ही रही, इसके लिए न तो किसी ने घडि़याली आंसू बहाया न ही गंगू गैंग ने आवार्ड आपसी का अभियान चलाया। न ही किसी बड़े मीडिया चैनल ने डिबेट कर भारत में बढ़ रही माॅबलिंचिंग की धटना और असहिष्णुता पर राग अलापा। भारत में लगातार बढ़ रही माॅबलिंचिंग की धटना एवं असहिष्णुता पर राग अलापने वाले दरबारी पत्रकारों ने न ही लंबे-लंबे आलेख लिखे न ही किसी बुद्धिजीवी गिरोह का चिंतन-मनन भरा बयान आया।
क्योंकि यहां हत्या निर्मम साधुओं और संतों की हुयी थी, हत्या भगवा की हुयी थी माॅबलिंचिंग में कोई विशेष समुदाय का रहनुमा नहीं मारा गया था। इसलिए किसी प्रकार का कोई कैपेन और हस्ताक्षर अभियान भी नहीं चलाया गया। बात-बात पर देश को गाली देने वाले, भारत को असहिष्णुता का दर्जा देने वाले और यह कहने वालों ने भी कोई आधिकारिक पोस्ट नहीं किया कि हमें भारत में रहने से ड़र लग रहा है, जबकि यह धटना उनसे कुछ ही दूरी पर हुयी थी।
खैर यह तो अलग बात है वैसे माहराष्ट्र में वर्तमान में जो सरकार है वह कांग्रेस की रिमोट कंट्रोल सरकार है और कांग्रेस का इतिहास साधु-संतों की हत्या करवाने उनको षड़यंत्र में फंसाकर बदनाम करने का रहा है। कांग्रेस के करनामों पर एक नज़र डाल लेते है 7 नवंबर 1966 के दिन इंदिरा गांधी ने गोवध-निषेध हेतु संसद भवन का घेराव करने वाले साधु-संतों पर गोली चार्ज करवा दिया था। जिसमें 5 हजार से ज्याद़ा साधुओं की जान चली गयी थी और 100 से ज्याद़ा साधु घायल हो गये थे। शंकराचार्य को छोड़ कर अन्य सभी संतों को तिहाड़ जेल में डाल दिया गया। करपात्री जी महाराज ने जेल से ही सत्याग्रह शुरू कर दिया। जेल उनके ओजस्वी भाषणों से गूंजने लगा।
उस समय जेल में करीब 50 हजार साधुओं को ठूंसा गया था।” सन 1994 द्वारका गुजरात के प्रसिद्ध संत केशवानंद स्वामी पर उनके ही ट्रस्ट(‘सनातन सेवा मंडल’) द्वारा संचालित स्कूल में पढ़ती रीता नाम की छात्रा ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाया । मीडिया ने प्रशासन के अवाहन पर इस मामलें को इतना उछाला था कि केशवानंद का केस ले़ने के लिए कोई वकील तैयार नहीं हुआ। सरकार के दवाब में अधिकारियों ने झूठा केस तैयार कर झूठे गवाह तैयार किए थे। जिसकी वजह से केशवानंद को 7 वर्ष की जेल हुयी। किन्तु सन 2001 में सेशन कोर्ट ने आरोपों को झूठा और निराधार बताकर केशवनंद महाराज को बाइज्जत बरी कर दिया था।
यही इतिहास रहा है कांग्रेस का। यह भारत ऋषियों, मुनियों और तपस्वियों की भूमि है, यही महर्षि दधीच ने जन्म लिया है, तो यही पूरे विश्व को एकसूत्र में पिरोने का उपदेश देने वाले स्वामी विवेकानंद ने जन्म लिया है। इसी पवित्र धरा पर राम, कृष्ण, परमहंस जैसे तपस्वियों ने अवतरण लिया जिन्होनें पूरे विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम् का नारा देते हुए एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया है, वही समग्र विश्व को शान्ति का पाठ पढ़ाया है। भारत आध्यात्मिक एवं सामरिक जगत में विश्व का सिरमौर रहा है एवं सदैव रहेगा। यहां साधु-संतों का अपमान का अर्थ है स्वयं का विनाश।
अवधेश वर्मा