देख मेरे ये नयन प्यासे, देखते पानी नहीं, लब्ज़ जर्जर हैं भले ही, मांगते रोटी नहीं.! हाथ उठते हैं ये...
Read moreहर ज़हर को पीता हूँ बेसबब ही जीता हूँ.! कई मोड़ आये हैं बदलते सफ़र देखे जीतने की ख्वाहिश में...
Read moreहमारे देश में चुनाव उत्सव की तरह मनाए जाते हैं। चाय की चुस्कियों, खाने की टेबल, ऑफिस, बस में, ट्रेन...
Read moreनिःसंदेह कविताओं के बुरे दिन आ गए हैं जो हम जैसे कवि मंच पा गए हैं यानि पूरे भारत मे...
Read moreक्या बदल गया ,और क्या बदल जाता ? ये सवाल गर मन मे पहले ही मचल जाता । ठंड सुबहो...
Read moreवो एक कलम थी जो स्याही से नहीं,अश्कों से भरी हुई थी वो एक गज़ल थी जो अल्फ़ाज़ों से नहीं,...
Read moreबस्तियों के बीच शोरगुल सा माहौल था, समां खामोश थी मौसम गमगीन था। आते-जाते राहगीर देखकर थे हैरान, इतनी शोर...
Read moreतेरा किरदार जरूरी है कहानी के लिए जैसे पतवार जरूरी है रवानी के लिए पात बिना शाख के वो एक...
Read moreकिसी व्यक्ति के निर्माण का स्वर्णिम काल "यौवन काल होता है " जिसमे वह आने वाले लम्बे जीवन के लिए...
Read moreआज पता नही तेरी याद क्यों बहुत आयी पल-पल तेरा चेहरा पल-पल तेरी परछाई भूली बिसरी यादे वो बाते मुलाकाते...
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