मेरठ। उत्तर प्रदेश के मेरठ में गुदड़ी बाजार हत्याकांड में 10 लोगों को उम्रकैद की सजा हुई है। 16 साल पहले हुई वारदात में तीन दोस्त सुनील ढाका, पुनीत गिरि और सुधीर उज्जवल की हत्या हुई थी।
बागपत जिले के बैलानी क्षेत्र की नदी किनारे 23 मई 2008 को तीन युवकों के शव मिले थे। इनकी पहचान सुनील ढाका (27) निवासी जागृति विहार मेरठ, पुनीत गिरि (22) निवासी परीक्षितगढ़ रोड मेरठ और सुधीर उज्जवल (23) निवासी गांव सिरसली बागपत के रूप में हुई। कोर्ट में सरकारी वकील ने अदालत में दलील दी थी कि ये एक जघन्य हत्याकांड है। तीनों युवकों के साथ जानवरों जैसा सलूक हुआ। छुरे से उनके गले काटे गए, गोलियां मारी गईं, पाइपों से पीटा गया। ऐसे लोग समाज के लिए खतरा हैं। इसलिए ऐसे दोषियों को फांसी की सजा दी जाए।
वहीं, बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा, मुलजिमों का पहले कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। तीन शवों के टुकड़े नहीं किए गए, यह सिर्फ मीडिया ट्रायल है। ऐसे में यह दुर्लभ श्रेणी में नहीं आता है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जज डायस से उठ गए। लंच के बाद वह वापस डायस पर पहुंचे और फैसला सुनाया।
यह था पूरा मामला
गुदड़ी बाजार निवासी हाजी इजलाल कुरैशी की दोस्ती मेरठ कॉलेज में पढ़ने वाली शीबा सिरोही से हो गई थी। इजलाल शीबा से एकतरफा प्यार करने लगा था। इसी दौरान सुनील ढाका भी शीबा को चाहने लगा था। सुनील अपने दोस्तों पुनीत और सुधीर के साथ शीबा से मिला करता करता था। शीबा का सुनील से मिलना-जुलना इजलाल को पसंद नहीं था। शीबा ने ही इजलाल को तीनों के खिलाफ उकसाया था।
तीनों को गोली मारी, तलवार से काटा, आंखें फोड़ी
इजलाल ने सुनील, पुनीत गिरी, सुधीर उज्जवल को अपने ठिकाने पर बुलाया। इसके बाद उनको खूब शराब पिलाई। जब तीनों लड़के नशे में बेसुध हो गए, तब इजलाल ने तीनों को अपने ही घर में कैद कर लिया। इसके बाद इजलाल ने अपने दूसरे साथियों को घर बुलाया। तीनों युवकों को बुरी तरह पीटा। इजलाल पर खून सवार था। तीनों लड़कों को बुरी तरह पीटने के बाद भी उसका गुस्सा शांत नहीं हुआ। उसने तीनों लड़कों की आंखें फोड़ डाली। फिर उनको गोली मार दी। इसके बाद तलवार से उनके गले काटे। रातभर इजलाल का टॉर्चर और मौत का खूनी खेल चलता रहा। पूरी रात इजलाल युवकों को काटता रहा, इसमें सुबह हो गई। आरोपी इजलाल और उसके दोस्तों ने तीनों लाशों को घर के बाहर सड़क की तरफ बनी एक छोटी सीढ़ी के पास डाल दिया। थोड़ी ही देर लाशों से खून बहकर सड़क पर आने लगा। आस-पास के लोगों ने खून बहता देखा तो शोर मचाया। इसके बाद उस हिस्से को खोला गया तो भयानक मंजर नजर आया। इसी बीच इजलाल का भी नशा उतर गया।
उसने आनन-फानन गाड़ियां मंगाई और तीनों शवों को एक गाड़ी की डिग्गी में डालकर गंग नहर की ओर भागा। कोई सही जगह नजर नहीं आई तो आरोपी इन शवों को लेकर बागपत बॉर्डर पर हिंडन किनारे लेकर पहुंचा। इस दौरान गाड़ी का तेल खत्म हो गया तो आरोपी गाड़ी में ही शव छोड़कर फरार हो गया।
मिली आजीवन कारावास की सजा
न्यायालय ने शीबा सिरोही को धारा 109 और 302 में दोषी करार दिया है। वहीं इजलाल को धारा- 302, 364, 304 और 325 में दोषी करार दिया है। इजलाल और शीबा के अलावा अन्य आरोपियों को कोर्ट ने धारा 302, 364, 304 में दोषी करार दिया है। सभी को 147, 148, 364, 302, 149, 201, 404 इन धाराओं में हत्या का दोषी करार दिया है। इस केस के अन्य आरोपी देवेंद्र आहूजा उर्फ मन्नु, अफजाल, वसीम, रिजवान, बदरुद्दीन, महराज, इजहार और अब्दुल रहमान उर्फ कलुवा है। 31 जुलाई 2024 को अदालत ने हत्या के सभी 10 आरोपियों को दोषी करार दिया था।
Discussion about this post