लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को 1988 बैच के आईपीएस देवेंद्र सिंह चौहान को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार की जिम्मेदारी सौंपी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुकुल गोयल को शासकीय कार्यों की अवहेलना करने, विभागीय कार्यों में रूचि नहीं लेने और अकर्मण्यता के चलते डीजीपी पद से हटा दिया था।
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने पत्र जारी करते हुए कहा कि नए डीजीपी के चयन प्रक्रिया तक यूपी पुलिस के विभागाध्यक्ष यानी डीजीपी के पद की जिम्मेदारी डीएस चौहान निभाएंगे। डीएस चौहान 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह 15 फरवरी 2020 से डीजे इंटेलिजेंस के पद पर कार्यरत रहें हैं। उनका रिटायरमेंट मार्च 2023 में होना है। डॉ. चौहान के पास उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान के निदेशक का भी कार्यभार है।
देवेंद्र सिंह चौहान पर लगाए जा रहे थे कयास
वरिष्ठता के आधार पर 1987 बैच के आईपीएस अफसर आरपी सिंह सबसे वरिष्ठ डीजी हैं और मौजूदा समय में प्रशिक्षण निदेशालय में हैं। दूसरे नंबर पर 1987 बैच के ही सीबीसीआईडी में डीजी जीएल मीना, तीसरे पर 1988 बैच के डीजी भर्ती बोर्ड राज कुमार विश्वकर्मा, चौथे पर 1988 बैच के डीजी इंटेलीजेंस देवेंद्र सिंह चौहान और पांचवें पर 1988 बैच के डीजी जेल आनंद कुमार हैं।
इनमें देवेंद्र सिंह चौहान डीजीपी की रेस में सबसे आगे हैं। उनकी गिनती मुख्यमंत्री के भरोसेमंद में होती है। पर अभी केंद्र से पैनल मांगा जाता है तो उसमें चौहान का नाम शामिल होना मुश्किल है। क्योंकि चौहान वरिष्ठता क्रम में चौथे नंबर पर हैं लेकिन पैनल जुलाई के बाद मांगा जाता है तो उसमें चौहान का नाम शामिल हो सकता है क्योंकि तब जीएल मीना का सेवाकाल 6 माह से कम रह जाएगा और यूपीएससी के नियमों के तहत 6 माह से कम कार्यकाल वाले को पैनल में शामिल नहीं किया जा सकता।
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